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आज भी: लालटेन युग में जी रहे बलारपुर गाँव के दलित बस्ती के ग्रामीण

परिवर्तन न्यूज़ चंदौली

सकलडीहा। विकास खण्ड के बलारपुर के दलित बस्ती के समीप एक पुरवा पर आधा दर्जन से अधिक परिवार को आज भी बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है। विभाग यहा तक विद्युतीकरण ही नही करा पाया। इनलोगो के घर बिजली के रोशनी के लिए तरस रहे है। इससे यह लोग अंधरे में जीवन व्यतीत करने को विवश है। मंत्री से लेकर अधिकरियों तक गुहार लगाई। लेकिन अभी तक इनकी समस्या जस की तस बनी हुई है। नाराज लोगो ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन कर विद्युतीकरण की मांग किया है।

बलारपुर से तेनुअट मार्ग पर करीब दर्जनो अनुसूचित जाति के परिवार घर बना कर रह रहे है। जिनकी आबादी करीब दर्जनों की संख्या में है। लेकिन इनके घरों तक मूलभूत सुविधाओं में शुमार बिजली नहीं पहुँच पाई। जबकि सौभाग्य योजना के तहत घर-घर बिजली पहुचाने का दावा किया गया था। इनलोगो का कहना है कि आज के समय मे विजली के बिना किसी का जीवन संभव नही है। लेकिन हमलोग मोमबत्ती के सहारे जी रहे है। टीवी,फ्रिज,कूलर,मोबाइल, पंखा आदि समान शोपीश बना हुआ है।

क्योकि इसके लिए बिजली चाहिए,बिजली के अभाव में बच्चो की पढ़ाई की समस्या होता है। रात के अंधेरे में जीव-जंतु के काटने का खतरा रहता है। इसलिए हम घरों से बाहर तक नही निकलते। कहा कि इसकी शिकायत जिम्मेदार से भी किया गया।लेकिन आश्वसन के सिवा कुछ नही मिला ।लोगो ने जिला प्रशासन से विद्युतीकरण की मांग किया है। विरोध प्रदर्शन करने वालों में मोहन,बनारसी,देवकुमार,कैलाश, सूरज,प्रकाश, गौतम,ममता,सुशीला, तेतर,रीता देवी,गौतम,हीरा,शकुंतला देवी सहित अन्य महिला पुरुष रहे।

रजनी कान्त पाण्डेय

मैं रजनी कांत पाण्डेय पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हूँ,इस दौरान मैंने कई प्रमुख राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्रों में अपनी सेवाएँ दे चूका हूँ. फ़िलहाल समाचार सम्प्रेषण का डिजिटल माध्यम को चुना है जिसके माध्यम से जनसरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर सकूं |

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