
परिवर्तन न्यूज़ चंदौली
ताराजीवनपुर। जो लोग गुरु में श्रद्धा रखते हैं, उनके काम जरूर बनते हैं। गुरु भक्त को भगवान से मिला देते हैं। गुरु बनना बड़ी बात नहीं है, लेकिन उनमें श्रद्धा रखना बड़ी बात है। गुरु शरीर नहीं तत्व होता है। यह विचार स्थानीय चौराहे स्थित बुढ़िया माई मंदिर प्रांगण में आयोजित श्री रामचरित मानस आध्यात्म प्रचार सत्संग समिति के तत्वावधान में पांच दिवसीय श्री राम कथा के दूसरे दिन मंगलवार को कथा वाचक प्रशांत पांडेय महाराज ने व्यक्त किए।
कहा कि शिव और पार्वती के विवाह से जुड़े सभी प्रसंग सुनाए शिवजी के गण श्रृंगार करने में लग गए। जटाओं का मुकुट बनाकर उसे पर सांपों का मौर सजाया गया। शिवजी ने सांपों का ही कुंडल व कंगन पहने, शरीर व विभूति रमाई और वस्त्र की जगह बाघ का खाल लपेटकर बारात लेकर पहुंचे जिसे देख लोग आश्चर्यचकित हो गए। शिवजी को इस रूप में देखने के लिए अनेक देवी देवता पहुंचे थे। शिव बारात में बारातियों का चयन कर लिया गया सभी का नाम आ गया। लेकिन शिवगण श्रृंगी, भृगी, भूत प्रेत सोचने लगे कि उनका तो बारात में जाना संभव नहीं है। शिवजी उनके प्रेम भाव को समझ गए और बोले, जगत में जितने भूत पिशाच आदि हैं सभी को निमंत्रण है, बारात में सब चलेंगे।
आरती के बाद भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। इस दौरान मानस मयंक, संजय पांडेय,संजय मिश्रा,बबलू पांडेय, राजेश सिंह, बंशीधर त्रिपाठी, दीनदयाल तिवारी आदि श्रोता उपस्थित रहे।