चंदौलीब्रेकिंगशिक्षा

सोशल मिडिया पर भ्रामक खबरे समाज और राष्ट्र के लिये घातक

मिडिया का समाज और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पर आयोजित हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

परिवर्तन न्यूज चंदौली
सकलडीहा। समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग के तत्वाधान में शुक्रवार को सकलडीहा पीजी कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी मे मीडिया समाज और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव विषय पर अतिथियों ने विस्तार से चर्चा किया। कार्यक्रम का उद्धाटन बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर आशाराम त्रिपाठी काशी हिंदू विश्वविद्यालय और विशिष्ठ अतिथि प्रोफेसर वंशीधर पांडेय महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और मुख्य वक्ता प्रोफेसर संजीव श्रीवास्तव दिल्ली विश्वविद्यालय ने दीप प्रज्जवलित करके किया। इस दौरान अतिथियों ने कॉलेज के संस्थापक पंडित रामकवल पांडेय के मूर्ति पर माल्यापर्ण कर विस्तार से चर्चा किया।

मुख्य वक्ता प्रोफेसर संजीव श्रीवास्तव ने कहा पत्रकारिता समाज का अंग है आज की वैश्विक दौर में सोशल मीडिया निर्द्वन्द पत्रकारिता के माध्यम से जनता की आवाज शासन तथा सरकार तक पहुंचना संभव हुआ है। गूगल के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक संसाधन के उपयोग से आज धनात्मक एवं ऋणात्मक खबरें एक समय पर पहुंच रही है। अनिश्चितता के दौर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हमें आज इसकी विश्वसनीयता परखने की भी आवश्यकता है। मीडिया किसी भी देश को मजबूती प्रदान करता है । उसकी स्वतंत्रता उसके कर्तव्य विरोध एवं अधिकार का भी बोध कराता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मोबाइल के विभिन्न आयाम यूट्यूब फेसबुक इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म पर कुछ ऐसे भी खबरें फैला दी जाती है। जो समाज के लिए घातक हैं। इसे भी आज रखने की आवश्यकता है। मोबाइल को उन्होंने दो धारी तलवार बताया आज बड़ी तेजी से डाटा का दुरुपयोग, एवं व्यक्तिगत पहचान को सार्वजनिक कर रहा है। आज समाज में बहुत सारे ऐसे एप्स हैं।  जिन्हें डाउनलोड करते समय सतर्कता हमें गंभीर परेशानियों से बचा सकती है।

वही प्रोफेसर बंशीधर पांडेय ने विकसित भारत 2047 हेतु सांस्कृतिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ने का है। आज एक ही समय में गांव शहर देश-विदेश समस्त जगह एक समय में खबर को पहुंचाया जा रहा है।  सोशल मीडिया एवं मोबाइल ने उंगलियों का स्वभाव बदला है। आज मोबाइल एक जगह बैठे ही पूरी दुनिया से जोड़ देता है, यह तकनीक वृद्धों के लिए रामबाण तो छोटे बच्चों के लिए खेल बन गया। आज मेंटल हेल्थ इश्यू बन गया मीडिया कैसी होनी चाहिए।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर त्रिपाठी ने वेद, गीता, एवं गोविंद के तमाम उदाहरण से सिद्ध किया कि व्यक्ति के विकास के बिना समाज राष्ट्र और विश्व का कल्याण नहीं किया जा सकता। आज व्यक्ति अपने पॉकेट में रख मोबाइल को संजय की भांति अपने मालिक को अच्छी और बुरी सारी खबरें सुनता है यह उसे व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उसका स्वभाव उसका व्यक्तित्व उसकी संवेदना उसकी सोच कैसी है और वह क्या चाहता है। अतः त्याग ही एक ऐसा शास्त्र है जिसकी धार बहुत पैनी होगी वहीं सुरक्षा और उसका स्वभाव भी बदलेगा। आज यदि व्यक्ति  अपने व्यक्तित्व में मानव कल्याण एवं सुरक्षा का बोध की शक्ति प्रदान करना ही मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।

प्रोफेसर दयाशंकर सिंह यादव समाजशास्त्र विभाग द्वारा लिखित पुस्तक 21वीं सदी के भारत के लिए-राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ संदीप कुमार सिंह और धन्यवाद ज्ञापन संयोजक प्रोफेसर विजेंदर सिंह ने की।

इस मौके पर महाविद्यालय के प्रबंधक अधिवक्ता राकेश वर्मा, प्रोफेसर पीके सिंह, प्रोफेसर दयाशंकर, रणजीत सिंह यादव , प्रोफेसर उदय शंकर झा, प्रोफेसर इंद्रदेव सिंह, डॉ राजेश यादव डॉ एमपी सिंह, सहित तमाम रिसर्च स्कॉलर एवं प्रवक्ता गण उपस्थित रहे।
  

रजनी कान्त पाण्डेय

मैं रजनी कांत पाण्डेय पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हूँ,इस दौरान मैंने कई प्रमुख राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्रों में अपनी सेवाएँ दे चूका हूँ. फ़िलहाल समाचार सम्प्रेषण का डिजिटल माध्यम को चुना है जिसके माध्यम से जनसरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर सकूं |

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
Enable Notifications OK No thanks