
परिवर्तन न्यूज चंदौली
Story By- मनोज कुमार मिश्रा
चहनियां। महुअरकला गांव में श्री विशेश्वर ब्रम्ह बाबा का वार्षिक उत्सव के उपलक्ष्य में सात द्विवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन मंगलवार को श्री त्रिदण्डी स्वामी जी के शिष्य सुन्दर स्वामी जी ने बताया कि जब राजा परिक्षित अपनी राज्य कर प्रज की बखूबी देख भाल, रक्षा-सुरक्षा करते हुए अपने दायित्यो का निर्वहन कर रहे थे कि उसी समय कलियुग महाराज का आगमन हो गया। तब राजा परिक्षित ने पूछा तुम कौन हो? तब कलियुग महाराज ने बताया कि हम कलियुग है हमे रहने का स्थान दे।

तब राजा ने कहा कि तुम जुए, शराब, काम वासना, हिंसा, असत्य और निर्दयता में निवास करो। कलि ने कहा- महाराज मुझे एक ऐसा स्थान बताएं जहाँ ये सब साथ हों, मैं वहीं चला जाऊँगा। परीक्षित ने कहा- स्वर्ण में यह सब है, इसलिए तुम स्वर्ण में रह सकते हो। परीक्षित की आज्ञा से कलियुग ने तत्काल स्वर्ण में अपना घर जमाया।
स्वामी जी ने बताया कि कलयुग में श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है श्रीमद् भागवत कथा में कलयुग के आगमन, परीक्षित जन्म, और कपिल भगवान की कथा सुनाई जाती है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने से प्राणी मात्र के प्रति प्रेम, करुणा, दया, और मैत्री भाव उत्पन्न होता है और जन्म-जन्मांतर के पाप से मुक्ति मिलती है। श्रीमद् भागवत कथा, सभी वेदों का सार है। श्रीमद् भागवत कथा को सुनने से मनुष्य तृप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा को सबसे पहले महर्षि वेदव्यास के पुत्र शुकदेव ने राजा परीक्षित को सुनाया था। राजा परिक्षित ने कलियुग को स्वर्ण में रहने का स्थान दिया। आखिकर कार उन्होने ऐसा क्यो किया? क्योकि उस समय भी स्वर्ण एक अनमोल धातु थी जो असामन्य से परे थी वह बहुत ही कम लोगों के पास होती थी। जिससे पूरे सृष्टि को बचाने हेतु स्वर्ण में रहने का स्थान दिया था। इस प्रकार उन्होंने बड़ी चतुराई से कलियुग को उसके प्रभाव को सीमित रखते हुए अधिक से अधिक लोगों को धर्म के साथ जुड़े रहने और उसके प्रसार के साथ अच्छाई के प्रभाव के कभी न समाप्त होने की भी तरकीब निकाली। कथा समाप्ति होते ही जय श्रीकृष्ण, जय श्रीराम, हर-हर महादेव के उद्घोष से पूरा बातावरण भक्तिमय हो गया।
इस दौरान अम्ब्रिष तिवारी, रामसेवक यादव, श्रवण कुमार पाण्डेय, केषरी सिंह, रामदुलारे सिंह, नितिक तिवारी, संतोष तिवारी, दीपक तिवारी सियाराम प्रजापति, ओमकार यादव सहित सैकड़ो लोग मौजूद रहे।
विशाल भंडारे के साथ कथा का होगा समापन
स्थानीय क्षेत्र के महुअरकला गाव में श्री विशेश्वर ब्रम्ह बाबा का वार्षिक उत्सव के उपलक्ष्य में सात द्विवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन बुद्धवार को श्री त्रिदण्डी स्वामी जी के शिष्य सुन्दर स्वामी जी ने की देख रेख में हवन पूजन का करते हुए विशाल भंडारे का आयोजन किया जायेगा उक्त आशय की जानकारी अंम्ब्रिश तिवारी ने दी। वही स्वामी ने अपने संदेश में कहा कि पूरे क्षेत्र के लोग आकर हवन में शामील होकर पुण्य के भागी बने।