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कौन जीतेगा, किसकी होगी हार, कस्बों से लेकर गांव गली में चुनाव पर ही चर्चा


चंदौली। लोकसभा चुनाव खत्म हो गया हैं, लेकिन चुनाव को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। लोकसभा मतदान के बाद अब जीत-हार के कयास लगने शुरू हो गए हैं और इसके साथ ही प्रत्याशियों पर दांव भी लगने लगे हैं। चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार व राजनीतिक दल अपने समर्थकों से क्षेत्रवार मतदान व वोटों के आंकड़ों को जुटाने में लग गए हैं, तो कहीं धोखे व पाला बदलने की भी खबरें सामने आ रही है। कोई कहता है कि 4 जून तक सब सामने आ जाएगा।

चाय की दुकान, पान की दुकान, सार्वजनिक चौराहों, पर पार्टियों के कार्यकर्ता के साथ-साथ चुनाव में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी अपने-अपने आंकड़े बताकर जीत का दावा-प्रतिदावा कर रहे हैं। जीत-हार के दावों के बीच अब कोई शर्त लगाने की भी चुनौती दे रहा है। एक ओर सपा के समर्थक जीत के आंकड़े गिना रहे हैं तो दूसरी ओर बीजेपी के समर्थक केंद्र सरकार की योजनाओं के बल पर जीत के लिए आश्वस्त हैं।‌

मतदान के दूसरे दिन हालांकि सभी की जुबां पर चुनाव की चर्चा है। कौन जीतेगा, कौन हारेगा और कौन रहेगा दूसरे नम्बर पर, किसका दबदबा रहेगा तथा जीत-हार में कितना अंतर होगा। देश में किसकी सरकार बनेगी तथा किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी, इस पर भी लोग मोल-भाव कर रहे हैं। शांतिपूर्ण संपन्न हुए चुनाव के बाद अब सभी के जुबान में हार-जीत की समीक्षा का दौर तेजी से शुरू हो गया है. वहीं राजनीतिक पंडित भी अपना गुणा-भाग लगा कर चुनावों के परिणाम निकालने में लगे हैं और जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इस पर भी हर घंटे लोगों के दावे बदलने लगे हैं। दूसरी ओर मतदाताओं की चुप्पी ने भी प्रत्याशियों व राजनीतिक दलों की धड़कने बढ़ने लगे हैं।

हार-जीत को लेकर लगने लगी बाजियां

चुनाव के इस दौर में हार-जीत के लिए अब छोटे से लेकर बड़े स्तर तक बाजियो का भी दौर शुरू हो गया है.सौ रुपए से लेकर लाखों रुपये तक की बाजियां लगने लगी है। जीत व हार के मंथन के बीच दावों को लेकर लोगों की तकरारें भी बढ़ गई है और बातों ही बातों में लोगों के सुर भी तेज होते जा रहे हैं, जीत पर अड़े रहने के कारण दावे को लेकर तल्खियाँ भी बढ़ गई है. गांव से लेकर शहर तक अमूमन यही स्थिति है कि चुनाव के बाद हार-जीत के मामले को लेकर हो रही बहसें विवाद का रूप भी लेनी लगी हैं। यह चर्चाएं चंदौली बाजार, मुगलसराय, चकिया, सैयदराजा, सकलडीहा कस्बा व कई गांव मोहल्ले में देखने को मिल रहा है।

रजनी कान्त पाण्डेय

मैं रजनी कांत पाण्डेय पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हूँ,इस दौरान मैंने कई प्रमुख राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्रों में अपनी सेवाएँ दे चूका हूँ. फ़िलहाल समाचार सम्प्रेषण का डिजिटल माध्यम को चुना है जिसके माध्यम से जनसरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर सकूं |

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