
तड़के आवाज सुन स्थानीय लोगो ने सोचा किसी ने बजाए होंगे पटाखे
आरोपी की लाश मिलने और माँ के बयान के बाद मामला हुवा संदिग्ध
परिवर्तन न्यूज़ डेस्क
वाराणसी। भेलूपुर थाना के भदैनी क्षेत्र में मंगलवार को एक शराब व्यवसाई ने तड़के चार बजे अपनी पत्नी समेत तीन बच्चो की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद आरोपी फरार हो गया। पुलिस मामले को हत्या समझ तफ्तीश कर रही थी। लेकिन शाम को आरोपी व्यवसायी की लाश एक अर्धर्निर्मित मकान में मिलने पर मामला संदिग्ध हो गया। वही आरोपी की माँ ने बताया कि दिवाली के बाद वह यहां रहता ही नही था। जिसके बाद पुलिस के लिए मामले की तह तक पहुचना अब एक चुनौती बन गई है।

बताया जाता है कि भदैनी निवासी शराब व्यवसायी राजेन्द्र गुप्ता (45) जिसकी कई देशी शराब की दुकाने है। उसने मंगलवार तड़के चार बजे पत्नी नीतू गुप्ता (42), बेटा नवनेंद्र (25), सुबेन्द्र (15) और बेटी गौरांगी (16) की गोली मारकर हत्या कर दी। सुबह सुबह गोलियों की आवाज सुनकर स्थानीय लोगो ने सोचा पटाखे बजाए जा रहे। दोपहर में घर की सफाई करने वाली रीता जब पहुची तो लोगो को हत्या की जानकारी मिली। जिसके बाद लोगो ने भेलूपुर पुलिस को इसकी सूचना दी। सूचना पर मौके पर पहुची पुलिस जांच में जुट गई। पुलिस के अनुसार जिस घर में राजेंद्र ने हत्या की वह उसी का है और उस घर मे बीस किरायेदार रहते है लेकिन हत्या की भनक किसी को नही लगी। क्योकि दिवाली का समय होने के कारण लोगो ने समझा कि कोई पटाखे बजा रहा होगा।
किरायेदारों के मुताबिक राजेन्द्र अक्सर पत्नी से झगड़ा करता था। उसे किसी तांत्रिक ने बताया था कि उसकी पत्नी उसकी तरक्की में बाधक है। इसलिए वो दूसरी शादी भी करना चाहता था। इसलिए अक्सर पत्नी से झगड़ा करता था। वारदात की सूचना मिलने पर मौके पर राजेन्द्र की माँ आई लेकिन अवस्था अधिक होने के कारण न तो ठीक से बोल पाती हैं और न ही चल फिर पाती है। राजेन्द्र गुप्ता का बड़ा बेटा नवनेंद्र बंगलौर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर है और दिवाली पर घर आया था। राजेन्द्र गुप्ता का परिवार शुरू से ही व्यापार से जुड़ा है। इसके पिता रिक्शा गैराज का काम करते थे। किरायेदारों के अनुसार अपने पिता और गॉर्ड के अलावा अपने भाई की भी हत्या पहले कर चुका है। पैरोल पर बाहर है। राजेन्द्र के पास चार मकान हैं। इसके साथ ही भदैनी के अलावा कई क्षेत्रों में देशी शराब की दुकाने हैं। उधर पत्नी और तीन बच्चों की हत्या के आरोपी राजेंद्र गुप्ता का शव रोहनिया थाना क्षेत्र के एक गांव में मिलने की सूचना मिलने लगी। पुलिस मौके पर पड़ताल करने पहुंची। राजेंद्र गुप्ता की लाश मीरापुर लठिया स्थित अर्धनिर्मित एक मकान में मिला। मौके पर सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी। वह यहां कैसे आया। इस बारे में पुलिस पूछताछ कर रही है।
राजेन्द्र की माँ के बयान के बाद मामला बना संदिग्ध, पुलिस के लिए तह तक पहुँचना बना चुनौती
भेलूपुर थाना क्षेत्र के भदैनी इलाके में पत्नी, दो बेटों और बेटी की हत्या के बाद आरोपी राजेंन्द्र गुप्ता का शव मिलने के बाद वारदात की गुत्थी बहुत पेचीदा हो गई है। पुलिस हत्या के बाद आत्महत्या से जोड़कर देख रही थी लेकिन मामले में सबसे मुख्य गवाह राजेंद्र की मां शारदा देवी की बात सुनकर पूरी वारदात पर संदेह अब संदेह के घेरे में है। फिलहाल शारदा देवी के बयान के बाद पुलिस तफ्तीश की दिशा में नया पेंच आ गया है। पुलिस अब हत्या के एंगल से जांच की बात कह रही है। पुलिस की मौजूदगी में राजेन्द्र की माँ शारदा देवी ने घटनाक्रम और बेटे राजेंद्र पर उठ रहे सवालों पर आश्चर्य जताया।
शारदा देवी का कहना है कि राजेंद्र दीपावली के बाद अपने नए निर्माणाधीन मकान में रहने के लिए चला गया था। भाई दूज वाले दिन वह आया था। टीका लगवाने के बाद उसने प्रसाद लिया और वह फिर वापस नहीं आया। ऐसे में वह हत्या करने के लिए कब और कैसे आया। शारदा देवी के अनुसार घर में सब कुछ अच्छा चल रहा था। पति पत्नी के बीच में कभी-कभी लड़ाई होती थी। जैसे सब जगह होती है. पैसे की कोई तंगी नहीं थी। कोई कमी नहीं थी तंत्र पूजा और ज्योतिष वाली बात भी बिल्कुल गलत है। हम लोग सिर्फ भगवान पर विश्वास रखते थे और भगवान को ही मानते थे। तंत्र साधना और यह सब चीज ना हम करते थे ना बेटा।
शारदा देवी के मुताबिक बेटा घर में कब आया उन्हें नहीं पता। उन्हें तो यह भी जानकारी नहीं थी कि उनके पोते-पोती और बहू की लाश कमरे में पड़ी है। वह सेकंड फ्लोर में अपने एक कमरे में रहती हैं। तबीयत ठीक न होने और उम्र ज्यादा होने की वजह से कमरे से कम ही निकलती हूं। आज सुबह जब खाना बनाने वाली आई तो उसने बहू की लाश देखकर शोर मचाना शुरू किया। इसके बाद जानकारी हुई। बहू नीतू रोज सुबह उन्हें दो रोटी दाल और सब्जी देने से पहले एक इंजेक्शन लगाती थी। बहू की भी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी।वह डॉक्टर को दिखाने के लिए कभी-कभी जाया करती थी। दो पोते में से एक बाहर रहता था जो दीपावली पर घर आया था। छोटा पोता और पोती यहीं स्कूल में पढ़ते थे। शारदा देवी ने यह स्पष्ट किया कि उनका बेटा राजेंद्र दीपावली और भाई दूज के दिन घर आया था। वह यहां रहता भी नहीं था। कभी-कभी पैसों की जरूरत पड़ने पर आता था।