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बाबा के दर्शन मात्र टल जाती है अकाल मृत्यु, मंदिर तोड़ने पर अंग्रेजों की मौत, घटना बयां कर रहा सिला पट्ट

चंदौली। जनपद के सकलडीहा स्टेशन के समीप चतुर्भुज पुर गांव में स्वयंभू बाबा कालेश्वर नाथ की भव्य मंदिर है।
भारत को अध्यात्म का देश कहा जाता है और यहां कण-कण में भगवान विराजते हैं ऐसी मान्यता है। महाशिवरात्रि की पूजा का महत्व है। इसी मान्यताओं के आधार पर उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद के सकलडीहा स्टेशन के समीप चतुर्भुज पुर गांव में स्वयंभू बाबा कालेश्वर नाथ की भव्य मंदिर है।

इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में आता है उसकी अकाल मौत नहीं होती है। बड़े से बड़ा काल को बाबा कालेश्वर नाथ सच्चे मन से पूजा दर्शन करने से काट देते हैं।

इसका एक प्रत्यक्ष प्रमाण भी अंग्रेजों के शासनकाल से देखने को मिला है। बताया जाता है कि यह मंदिर सकलडीहा के निवासी बाबू बख्त सिंह को बाबा कालेश्वर नाथ सपने में बनवाने का स्वप्न दिया था।

विश्व भर में अनूठा

उसके बाद यहां उस शिवलिंग की खोज कर मंदिर बनवाया गया और वह शिवलिंग दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। यह शिवलिंग धारीदार है जो विश्व में अनूठा है।

अंग्रेजों ने जब सन 1928 में मंदिर के समीप से रेलवे लाइन बना रहे थे, तो उसी दौरान मंदिर को छतिग्रस्त करने का प्रयास किया था। जिसका परिणाम रहा कि लोगों के मना करने के बाद भी अंग्रेज अधिकारी रोबिन विक्टर एग्जेंडर जबरजस्ती मंदिर की चारदीवारी को तोड़कर रेलवे लाइन बिछाने का निर्देश दे दिया। फिर जब उसका निरीक्षण करने आया तो मंदिर के समीप ही तालाब में उसकी सैलून दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

यह घटना जब उसकी पत्नी को मालूम हुआ तो वह खुद बाबा कालेश्वर नाथ का दर्शन करते हुए अपने पति के याद में सकलडीहा स्टेशन पर एक शिलापट्ट लगवाया है,जो आज भी मौजूद हैं। उस शिलापट्ट मे दुर्घटना का कारण भी बताया गया है।

बाबा कालेश्वर नाथ की पूजन के लिए यूपी के कई जिलों सहित बिहार प्रांत के लोग भी आते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर भारी भीड़ लगती है जिसके लिए प्रशासनिक व्यवस्था भी तैनात की गई है।

बाबा कालेश्वर नाथ की पूजन के लिए यूपी के कई जिलों सहित बिहार प्रांत के लोग भी आते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर भारी भीड़ लगती है जिसके लिए प्रशासनिक व्यवस्था भी तैनात की गई है।

रजनी कान्त पाण्डेय

मैं रजनी कांत पाण्डेय पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हूँ,इस दौरान मैंने कई प्रमुख राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्रों में अपनी सेवाएँ दे चूका हूँ. फ़िलहाल समाचार सम्प्रेषण का डिजिटल माध्यम को चुना है जिसके माध्यम से जनसरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर सकूं |

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