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उफनती गंगा का रौद्र रूप से तटवर्तीय गांवों के लोगों में बढ़ने लगी बेचैनी

परिवर्तन न्यूज़ चंदौली

चहनिया। बलुआ स्थित गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्वि से गंगा नदी के तटवर्ती गांवो के ग्रामिणो व किसानो सहित अन्य गावो के लोगों में खौफ के साए मंडराने लगे हैं। अगर इसी तरह पानी बढ़ता रहा तो पांच छह दिनों मे गंगा नदी के किनारे व तटवर्तीय गांवों में पानी प्रवेश करने लगेगा। रविवार कि रात से बुधवार को दोपहर मे अब तक बारह फीट पानी बढ़ने से तटवर्ती गावो के लोगो मे दहशत का माहौल बना हुआ है। वही गंगा तट पर लगे हाईमाक्स लाइट को नाव से गंगा सेवा समिति के सदस्यो ने हटा कर सुरक्षित स्थान पर रख रहे है। गंगा में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की आशंका बढ़ गई है। गंगा नदी के तटवर्तीय गांवों के किसानों व ग्रामीणों में खौफ दिखने लगा है।

गगां तटवर्ती गांव भुपौली,डेरवा,महड़ौरा, कांवर , पकड़ी,महुअरिया, विशुपुर , महुआरी खास , सराय , बलुआ , डेरवाकला, महुअर कला, हरधन जुड़ा, गंगापुर, पुराबिजयी , पुरागणेन, चकरा, हरधनजुड़ा,सोनबरसा, टांडाकला, महमदपुर,सरौली,तीरगावा, हसनपुर,बड़गांवा,नादी निधौरा , सहेपुरआदि गांवों के किनारे व तटवर्तीय गांवों के खेतों में किसानों द्वारा बोये गये हजारो एकड़ फसलें , सब्जियां,परवल,मिर्चा, लौकी, नेनुआ,वैगन, ज्वर,बाजरा,व अरहर एवं धान की रोपी गई फसलें और पशुओं का हरा चारा बाढ़ का पानी में डुबकर बर्वाद होने के करार पर पहुच जाती है। साथ ही पशुओं के चारे की विकट समस्या उत्पन्न हो जाती है। गंगा के किनारे पर झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों को विशैले जीव जंतुओ का हमेशा खतरा बना रहता है। बढ़ते जलस्तर को लेकर के खेतों में लगी फसलें पानी के कारण बर्बाद हो जाती है। किसानों के रोजी रोटी पर भी संकट मंडराने लगा है। बाढ़ से घिरे गांव के लोग- लोग रात भर जाग कर गुजर – वसर करने को विवश हो जाते है जिसके चलते लोगों में हाय तौबा मची रहती है।

रजनी कान्त पाण्डेय

मैं रजनी कांत पाण्डेय पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हूँ,इस दौरान मैंने कई प्रमुख राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्रों में अपनी सेवाएँ दे चूका हूँ. फ़िलहाल समाचार सम्प्रेषण का डिजिटल माध्यम को चुना है जिसके माध्यम से जनसरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर सकूं |

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