
परिवर्तन न्यूज़ चंदौली
सकलडीहा। कस्बा स्थित सकलडीहा पीजी कॉलेज में विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडेय ने किया। गोष्टी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर उदय शंकर झा ने कहां की आज जहां हम लोग विश्व पर्यावरण दिवस मना कर पर्यावरण के संबंध में विश्व को सावधान कर रहे हैं यह बिल्कुल सत्य है कि इस प्रति स्पर्धा के काल में सर्वाधिक क्षति पर्यावरण की हुई है। इसके मूल में जब हम जाते हैं तो पाते हैं कि हम प्राकृतिक नियमों की अवहेलना के कारण ही अभिशप्त हो रहे हैं।

हमारे संस्कृत वाड़मय के वेद ,पुराण, महाकाव्य खंडकाव्य गीत काव्य आयुर्वेद एवं कर्मकांड आदि ग में पर्यावरण की शिक्षा एवं महत्व के बारे में वर्णन किया गया है। यह सर्वे विधिक है कि हमारी भारतीय सनातन संस्कृति में तुलसी पीपल नीम बरगद गूलर आदि वृक्षों का विशेष विशेष अवसर पर पूजन का विधान है जो सर्वाधिक पर्यावरण संरक्षक एवं जीवन दायिनी है इसकी महत्ता एवं सार्वभौमिकता वेद के आरण्यक भाग में प्रतिपादित है। कवि कुल गुरु महाकवि कालिदास के नाटकों में पर्यावरण संतुलन का वर्णन यत्र तत्र पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
आज तो यदि हम वास्तव में आज पर्यावरण दिवस मना कर इसकी महत्ता के संबंध में विश्व को जागृत एवं सावधान करना चाहते हैं तो हमें निश्चय ही अपनी प्राचीन संस्कृति की ओर लौटना होगा। एवं अंधाधुंध हो रहे वर्षों की कटाई पर विराम लगाते हुए प्रतिवर्ष हो रहे वृक्षारोपण के साथ उसका संरक्षण भी करना होगा। जब तक हम अपने चतुर्थी सर्व विविध प्रदूषण पर्यावरण को संतुलित नहीं करेंगे तब तक हम इसी प्रकार और सामाजिक प्राकृतिक आपदाओं को झेलते रहेंगे। इस अवसर पर भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभय कुमार वर्मा ने भी पर्यावरण पर प्रकाश डालते हुए विषय को आगे बढ़ाया।
इस अवसर पर दीपक दुबे, रविंद्र नारायण , सरिता शर्मा, विनय कुमार, राहुल यादव, बृजेश यादव, बनारसी यादव आदि लोग उपस्थित रहे।