चंदौलीजिलाब्रेकिंगवाराणसीशिक्षा

भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर की मनाई गयी 101वीं जयन्ती

परिवर्तन न्यूज चंदौली
चहनियां। स्थानीय क्षेत्र के लच्छू ब्रम्ह बाबा के प्रांगण में शुक्रवार को भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयनती धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथी सपा सांसद विरेन्द्र सिंह व सकलडीहा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव ने संयुक्त रूप से कर्पूरी ठाकुर के तैलचित्र पर माल्यपर्ण कर दी प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

वही कार्यक्रम के मुख्य अतिथी चन्दौली सांसद बिरेन्द्र सिंह ने भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर के व्यक्तित्व चरित्र पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि श्री ठसकुर बेहद ही ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ, गरीब, असहाय, मजलूम की सेवा करते थे रहते थे। इसी इ्रमानदारी व कत्रव्य निष्ठा के बल पर बिहार में दो बार पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं उनकी ईमानदारी के किस्से पूरे देश में आज भी सुनाए जाते हैं। बिहार में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण लागू कर सामाजिक न्याय का बिगुल फूंकने वाले झोपड़ी के लाल भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर की 24जनवरी को जयंती मनाई जाती है।
जननायक कर्पूरी ठाकुर ने बिहार की राजनीति में समाजवादी विचारों का समावेश किया और अपनी नीतियों से राज्य को नए मुकाम तक पहुंचाया। कर्पूरी ठाकुर के फैसले आज भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं, और उनके बताए रास्ते पर चलकर बिहार ने सफलता की ऊंचाईयां हासिल की हैं। कई राजनेता उनके आदर्शों का अनुसरण करने का प्रयास करते हैं। कर्पूरी ठाकुर की ईमानदारी उन्हें अन्य राजनेताओं से अलग बनाती है।

डॉ. लोहिया और कर्पूरी ठाकुर की दोस्ती 24जनवरी 1924को समस्तीपुर के पितोझिया गांव में जन्मे कर्पूरी ठाकुर ने डॉ. राम मनोहर लोहिया के आदर्शों को अपनाया। डॉ. लोहिया ने कर्पूरी ठाकुर को हमेशा जननायक कहा और उनकी राजनीति को देश के लिए बदलाव का प्रतीक माना। लोहिया का मानना था कि अगर उन्हें पांच कर्पूरी ठाकुर मिल जाएं, तो देश में बदलाव आजाएगा कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में दो कार्यकाल पूरे किए, पहले दिसंबर 1970से जून 1971तक, और फिर जून 1977से अप्रैल 1979तक। उनके कार्यकाल में लिए गए कई निर्णय जनहित में थे, जिसके कारण उन्हें जननायक की उपाधि प्राप्त हुई। कर्पूरी ठाकुर की गरीबी और जनहित में नीतियां कर्पूरी ठाकुर का जीवन बेहद साधारण था। विधायक बनने के बाद, उनके माता-पिता उन्हें 25पैसे दिया करते थे। एक बार जब उनके पिता के पास पैसे नहीं थे, तो कर्पूरी ठाकुर घर से बाहर चले गए, ताकि उन्हें शर्मिंदगी न हो। इस घटना ने उन्हें वृद्धावस्था पेंशन लागू करने के लिए प्रेरित किया, जिससे गरीब वृद्धों को वित्तीय मदद मिल सके। सादगी और ईमानदारी के प्रतीक कर्पूरी ठाकुर सादगी के प्रतीक थे।

इस दौरान सपा पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू, राजेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व एमएलसी अरविन्द सिंह, प्रदेश अध्यक्ष इन्द्रजीत शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष हलीम सलमानी, चन्द्रशेखर यादव, अशोक शर्मा, बुलबुल सलमानी, कार्यक्रम आयोजक हीरा शर्मा, कार्यक्रम की अध्यक्षता मोहन शर्मा व संचालन महमूद सलमानी ने किया।

रजनी कान्त पाण्डेय

मैं रजनी कांत पाण्डेय पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हूँ,इस दौरान मैंने कई प्रमुख राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्रों में अपनी सेवाएँ दे चूका हूँ. फ़िलहाल समाचार सम्प्रेषण का डिजिटल माध्यम को चुना है जिसके माध्यम से जनसरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर सकूं |

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!