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अस्ताचल भगवान भास्कर को व्रतियों ने दिया अर्ध्य

परिवर्तन न्यूज चंदौली
Story By- मनोज मिश्रा
चहनियां। मॉ भागीरथी के महर्षि बालमिकी कुण्ड के पश्चिम वहीनी बलुआ घाट पर छठ ब्रती महिलाओं ने भगवान सूर्य को बृहस्पतिवार की सायम अस्ताचल अर्ध्य दिया।
वेदो व पुराणों के अनुसार वर्ष में दो बार डाला छठ का पर्व मनाया जाता हैं पहिला कार्तिक की शुक्ल पक्ष षठमी तिथि को व दूसरा चैत मास की शुक्ल पक्ष की षठमी तिथि को मनाया जाता है।

जानकारी के अनुसार चार द्विवसीय महापर्व डालाछठ सनातन धर्म का एक एक अलौकिक उदयीमान महापर्व हैं। डाला छठ का शुभारम्भ सर्वप्रथम भगवान सूर्य के पुत्र कर्ण ने किया था। जो निरन्तर बढ़ता जा रहा है। डाला छठ में भगवान सूर्य की विधिविधान से पूजा पाठ कर लोग अपने मनोवांछित फलो को प्राप्त करते हैं।

इसी क्रम मेें क्षेत्र के मां पश्चिमी वाहीनी भगवती गंगा के तट बलुआ घाट पर चैती छठ का ब्रत धारण कर महिलाओं ने भगवान भास्कर को अस्ताचल अर्ध्य दिया। क्षेत्र के दर्जनों गावों की महिलाएं धूमधाम गाजे-बाजे के साथ से सैकड़ों की संख्या में घाट पर पहुची और गंगा में स्नान कर भगवान भास्कर अर्ध्य अर्पण किया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या महिलाएं व पुरूष व बच्चें मौजूद रहे।

रजनी कान्त पाण्डेय

मैं रजनी कांत पाण्डेय पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हूँ,इस दौरान मैंने कई प्रमुख राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्रों में अपनी सेवाएँ दे चूका हूँ. फ़िलहाल समाचार सम्प्रेषण का डिजिटल माध्यम को चुना है जिसके माध्यम से जनसरोकार की ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर सकूं |

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