
चंदौली। होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि यह उन अनगिनत भावनाओं का उत्सव है जो हमें एक-दूसरे से जोड़ती हैं। यह दिन सिर्फ गुलाल उड़ाने और मिठाइयों का स्वाद लेने तक सीमित नहीं, बल्कि यह प्रेम, सौहार्द और नई ऊर्जा का प्रतीक है। भारत विविधताओं का देश है, जहां सालभर अलग अलग त्योहार मनाए जाते हैं। यह भूमि अनेक भाषाओं, जातियों, परंपराओं और धर्मों का संगम है। इन्हीं में से होली भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है।
यह त्योहार होली रंगों, उमंग, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है और बसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है। अलग अलग राज्यों में होली मनाने के अलग अलग तरीके हैं। ब्रज में लट्ठमार होली, बंगाल में डोल पूर्णिमा, और पंजाब में होला मोहल्ला इसका अनूठा रूप प्रस्तुत करते हैं। इस दिन लोग रंग-गुलाल उड़ाते हैं, ढोल नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं और पारंपरिक पकवान जैसे गुजिया, दही वड़ा, कचौड़ी का आनंद लेते हैं। आइए हम सब मिलकर इस पावन पर्व को प्रेम, आनंद और सादगी के साथ मनाएं, ताकि यह हमारे जीवन में खुशियों के नए रंग भर सके।
होली रंगों, उमंग और हर्षोल्लास का त्योहार है, होली सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो दो दिन तक चलता है। पहले दिन होलिका दहन होता है, जिसे छोटी होली के नाम से जाना जाता है, और दूसरे दिन धुलेंडी, यानि रंगों की होली होती है। इस दिन लोग आपसी भेदभाव भुलाकर रंगों से सराबोर हो जातें हैं और गले मिलकर एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
कुछ लोग त्योहार के मौके पर गरीब बेसहारा बच्चों और जरुरतमंदों को जरुरत का सामान देकर होली मनाते हैं, जिससे गरीब के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। त्योहार कोई सा भी हो सभी त्योहार का मतलब खुशी होता है, और यह खुशी जब और दोगुनी होती है, जब किसी गरीब बेसहारा जरुरतमंदों को जरुरत का सामान दिया जाए, जिसे पाकर गरीब भी त्योहार खुशी से मनाता है, और गरीब के चेहरे पर खुशी लाने वाले की खुशियां दोगुनी हो जाती है। आइए हम सब मिलकर इस पावन पर्व को जरुरतमंदों के साथ खुशी बांटकर खुशियां मनाएं।