
चंदौली। हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को बहुत ही ज्यादा पावन और पवित्र माना जाता है। ये पर्व देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी के भक्त व्रत रखते हैं और विधि पूर्वक उनकी पूजा करते हैं। इसके अलावा नवरात्रि के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं। इन दिनों बिना कोई मुहूर्त देखे कई शुभ कार्य किए जाते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। साथ ही लोग अपने घरों में कलश की स्थापना करते हैं।
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है इसी दिन से हिंदू नव वर्ष शुरू प्रारंभ होता है चैत्र शुक्ल पक्ष की रामनवमी को नवरात्रि का समापन हो जाएगा।
पं आचार्य लक्ष्मी नारायण पांडेय बताते हैं कि इस वर्ष चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल मंगलवार से 17 अप्रैल बुधवार तक रहेंगे, ज्योतिष गणना के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्र में माता रानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी।
17 अप्रैल बुधवार को माता रानी हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी।

घट स्थापना मुहूर्त – इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल को रात्रि 11 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होगी उदयातिथि के अनुसार 9 अप्रैल को कलश स्थापना कर प्रथम दिवस मां शैलपुत्री का व्रत पूजन किया जाएगा।
कलश स्थापना का शुभ समय पंचांग के अनुसार अभिजीत मुहूर्त प्रात 11 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
माँ भगवती समस्त सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी है। मान्यता है कि नवरात्रि के समय माँ पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच उपस्थित होती है। ऐसा योग साल में आने वाली चार नवरात्रियों के पर्व पर संभव होता है। इस पर्व के दौरान स्वयं त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा-विष्णु-महेश भी माता की आराधना करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। इसीलिए नवरात्रि में पूजन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।